एक बार नेता जी मिले,
हम से,
बिना किसी कारण.. बोले,
हाल-चाल कैसे हैं,
और हमारे बोलने से पहले ही.!!!
हाँ, ठीक ही होंगे..
चुनावी माहौल जो है..
बहुत भाग-दौड़ है,
जनता से मिलना, परेशानिया सुनना..
विकास को ध्यान देना..
और इतने सब के बाद.. जब घर जाओ तो..
बहुत सारी थकान..
इतना सब दिमाग से हटा कर सोना..
अरे!
हमे तो नींद भी नहीं आती इन्ही चिन्ताओ में..
और लोग तो वोट ही मांगने में जुटे हैं..
और,
हमे देखिये समाज की कितनी परवाह है?????
एक बार भी आप से उसकी कोई बात नहीं की..
जब की,
आप का परिवार..
कुल ३६ लोगो का है..
गाँव में भी आप की ही चलती है..
भला क्या मजाल आप कहो और कोई वोट हमे न मिले????
मगर हम आप से वोट नहीं मांगने आये हैं,
हम तो आये है,
आप की समस्याओं के लिए,
क्यों की...
जब हम जीत के बाद मंत्री बनेंगे..
तो आप का विकास कर सके..
क्यों त्रिवेदी जी?? ठीक कह रहे है न हम..
मैं बोलने को ही था तभी बोल पड़े..
अब चलिए,
आप सब के सामने नहीं कहना चाह रहे हैं,
कोई बात नहीं,
हम तो समझते ही हैं..
आप हमे जिता दे..
हम सारा विकास का जिम्मा आप को दे देंगे..
आप यहाँ खुश और हम संसद में??