Here i want to give you all a hold to your dreams.. to make them fly higher..... "When a dream takes hold of you, what can you do? You can run with it, let it run your life, or let it go and think for the rest of your life about what might have been"..... Patch adams

Monday, December 28, 2009

गुजरा जमाना तेरा

वो कंधे पे सर का झुकाना तेरा,
वो धीरे से फिर मुस्कराना तेरा,
सुर्ख होटों से निकलती वो तेरी हर बात,
वो मेरे सीने में आ के छिप जाना तेरा..
पास आओ की कानो में कुछ कहना है मुझे,
फिर बाह पकड़ के मुझे पास बिठाना तेरा,
कुछ बात है कहनी अभी दूर मत जाना,
फिर बातों बातों में वक़्त बिताना तेरा,
दूर यू हुए की अब एक पल रहा नहीं मेरा,
बहुत याद आता है अब वो बहाना तेरा..
मेरी उदासी में हर पल समझाना तेरा,
मेरे सर पे वो हाथ फेर जाना तेरा,
देर रातो में मुझको उठाना तेरा,
मुझे जगा के फिर से सो जाना तेरा,
रात जाग के गुजारी फिर भी एक ख्वाब देखा,
अब सोने नहीं देता वो ख्वाब दिखाना तेरा..
मेरे सवालों पे कुछ ना कह पाना तेरा,
बस एक जवाब और दूर चले जाना तेरा,
सब की खुशियों का वास्ता दिलाना तेरा,
बस मेरी चाहत को न देख पाना तेरा,
ले लो हर ख़ुशी मेरी, होगा हर फ़साना तेरा,
कभी कम नहीं होने देंगे मुस्कराना तेरा,
जाओ नहीं रोकेंगे, मगर ये ज़रूर सोच लेना,
कैसे जियेगा अब तुम बिन ये दीवाना तेरा..
दिल में ले के रहूँगा वो यादें तेरी,
वो बीते हुए पल, वो गुजरा जमाना तेरा..
कैसे जियेगा अब तुम बिन ये दीवाना तेरा..
ये दीवाना तेरा..

Wednesday, December 2, 2009

sudhir's

zindgi me zaroor kuch dard hote hain,
hum kabhi apne to kabhi apno k liye rote hain...
kyun khuda tu bana deta hai ye anjaan rishte,
kyun jab hum dil laga lete tabhi usko khote hain...
kyun khula hai ye manzar her nazar nazar aane ko,
kyun humari palkon me ye fasle hote hain..

Tuesday, December 1, 2009

sudhir's

सजी हो दुल्हन तो उसके नूर को देखना,

मोहब्बत के हर उस दस्तूर को देखना,

जब दिल कभी रोये तो नज़रें इधर करना...

अपनों में पराये इस मजबूर को देखना...

मेरा ehsaas

दिल नही रुकता अब हमारे समझाने से,
कम नही होती चाहत उनसे दूर जाने से,

गुजरते हैं वो करीब से, दिल में हलचल सी होती है,
उसकी आहट सुनाई देती है अब सांसो के आने से,

कुछ नही है खोने को फ़िर भी ये खौफ कैसा,
क्यों माथे पे सिकन है किसी दर्द के एहसास जैसा॥

हीरे जवाहरात भी नही जो उनकी ही फ़िक्र हो,
अब क्या लेकर जाएगा तू इस गरीब के खजाने से,

एक अरसा गुजरा है तेरा इंतज़ार करते करते,
अब तो पास आ जा यार किसी भी बहाने से,

नही याद आती है मुझको, तेरी चाहत भी नही करते,
ख़ुद को ही भूल गया हूँ मैं तुझको भुलाने में,

बार बार मिलाती है मगर पराया बनाकर,
वह रे तकदीर, तू बाज़ ने आई सताने से...