उन वफ़ा के परिंदों को खोजा गया,
सबब उनसे मोहब्बत का पूछा गया,
दिल के जख्मों को उनके कुरेदा गया,
फिर सजा के लिए उनको भेजा गया..
की मोहब्बत तो ऐसी खता क्या हुई,
जान लेने से पहले ये ना सोचा गया,
जो की थी इबादत तो दुआ क्या हुई,
खुदा से भी ये मंज़र ना देखा गया..
उन सनम के सितम की इन्तहा ही नहीं,
जिसने कर ली मोहब्बत वो रोता गया,
कितने मिटते गए, कितने लुटते गए,
फिर भी होता रहा, जो भी होता गया..
सबब उनसे मोहब्बत का पूछा गया,
दिल के जख्मों को उनके कुरेदा गया,
फिर सजा के लिए उनको भेजा गया..
की मोहब्बत तो ऐसी खता क्या हुई,
जान लेने से पहले ये ना सोचा गया,
जो की थी इबादत तो दुआ क्या हुई,
खुदा से भी ये मंज़र ना देखा गया..
उन सनम के सितम की इन्तहा ही नहीं,
जिसने कर ली मोहब्बत वो रोता गया,
कितने मिटते गए, कितने लुटते गए,
फिर भी होता रहा, जो भी होता गया..