टूटना क्या है..
क्या दो टुकड़े हो जाना,
या फिर बिखर जाना,
या फिर चंद हिस्सों में अलग होना..
जैसे एक पतंग की डोर का,
या शायद एक आईने का,
या फिर किसी तस्वीर का टूटना..
क्या बस इतना ही है,
बस और कुछ नहीं हो सकता,
शायद नहीं, मगर फिर..
हाँ हो सकता है, वरना एहसास ना होता,
मगर वो है क्या, ज़रा देखो..
नहीं कुछ नहीं है, दिखाई नहीं दे रहा,
आवाज़ भी तो नहीं आई..
फिर टूटा क्या...!!!!
हम तेजी से जा रहे हैं,
रुकने और देखने का वक़्त कहाँ है,
मगर इस दुनिया की भीड़ में,
शायद कोई आपका है..
किसी को आप से प्यार है, तो किसी को उम्मीद..
कोई इंतज़ार में है..
कुछ आप के सपने हैं,
और इनके लिए आप भागते रहते हो..
ज़रा ठहरो, और सुनो..
अपने दिल में झांक कर..
महसूस करो..
क्या जल्दी में कुछ छूटा है..
क्या कहीं कुछ टूटा है..
फिर धीरे से दिल में एक आवाज आई..
हाँ..!!!!!!!!
अरे ये तो एक रिश्ता था,
मेरे ही जेहन में बसता था..
अब फिर से वही सवाल दोहराता हूँ,
टूटना क्या है...
अलगाव, शायद एक रिश्ते का,
कुछ अरमानो का,
या फिर किसी के ख्वाबों का..
शायद हाँ, और बस भी.
लेकिन फिर भी संतुष्टि नहीं मिल रही,
कुछ मुझे हो रहा है,
इतना सब जानने के बाद,
इतने अकेले...
रिश्ते नाते, प्यार सब से दूर,
फिर भी कुछ टूट सा रहा है..
आखिर क्या..???
नहीं मिल रहा..
मैं बताता हूँ,
ये हो तुम....!!!!
बेबस, लाचार, थके हुए..
अब फिर से सवाल दोहराता हूँ..
टूटना क्या है..
शायद हिम्मत का,
या फिर किस्मत का,
या ताकत का.. और या कहें की गुरूर का..
अब क्या कहते हो..
कुछ है क्या अब भी..
शायद हाँ,
बहुत कुछ..
यहाँ जब हर पल, हर घडी,
कुछ ना कुछ टूट रहा है,
तो होगा ही..
लोग जोड़ने से ज्यादा तोड़ते है,
तो ज़रूर होगा..!!!!
अब यहाँ भी एक जवाब है..
ये भी तो टूटना है..
आपके विश्वास का..!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
Friday, February 12, 2010
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3 comments:
sundar rachna
achchha shabd sayajan
achchhi lay
aapka swagat hay blog ki dunia me
aapko aage bhi padhna hay is liye follow kar raha hun.
टूटना क्या है..
क्या दो टुकड़े हो जाना,
या फिर बिखर जाना,
या फिर चंद हिस्सों में अलग होना..
जैसे एक पतंग की डोर का,
या शायद एक आईने का,
या फिर किसी तस्वीर का टूटना..
Sundar shabdawali!
Anek shubhkamnaon sahit swagat hai..
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