आईने से तस्वीर को निकाला नहीं जाता,
तराश कर फिर उसमे अक्स डाला नहीं जाता,
दिल शीशा है यारों ज़रा संभल कर खेलो,
कांच की चीज़ों को उछाला नहीं जाता.. !!
थाम कर रखना अपनी हथेली पर इसको,
एक बार जो छूटा तो संभाला नहीं जाता,
टुकड़े भी चुनते हो तो चुभन हाथों को होगी,
रख के टुकड़ों को दिल को बनाया नहीं जाता..!!
जख्म छूकर तुम्हे दर्द होने लगा है,
और यहाँ तो हर सांस दर्द का सिलसिला है,
साँसे रुक जायें तो दिल को तसल्ली मिलेगी,
अब सीने में मेरी "जान" तुझे पाला नहीं जाता..!!
तेरे सीने में छुपे थे तब तक सुकून था,
अब रौशनी को नज़रों से टाला नहीं जाता,
सुर्ख आँखें भी थक कर के ढूँढने लगी हैं,
कोई जगह हो ऐसी जहाँ उजाला नहीं जाता..!!
Friday, February 12, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment