Here i want to give you all a hold to your dreams.. to make them fly higher..... "When a dream takes hold of you, what can you do? You can run with it, let it run your life, or let it go and think for the rest of your life about what might have been"..... Patch adams

Monday, January 23, 2012

एक मुलाकात - नेता जी से

एक बार नेता जी मिले,
हम से,
बिना किसी कारण.. बोले,
हाल-चाल कैसे हैं,
और हमारे बोलने से पहले ही.!!!
हाँ, ठीक ही होंगे..

चुनावी माहौल जो है..
बहुत भाग-दौड़ है,
जनता से मिलना, परेशानिया सुनना..
विकास को ध्यान देना..
और इतने सब के बाद.. जब घर जाओ तो..
बहुत सारी थकान..
इतना सब दिमाग से हटा कर सोना..

अरे!
हमे तो नींद भी नहीं आती इन्ही चिन्ताओ में..
और लोग तो वोट ही मांगने में जुटे हैं..
और,
हमे देखिये समाज की कितनी परवाह है?????
एक बार भी आप से उसकी कोई बात नहीं की..
जब की,
आप का परिवार..
कुल ३६ लोगो का है..
गाँव में भी आप की ही चलती है..
भला क्या मजाल आप कहो और कोई वोट हमे न मिले????
मगर हम आप से वोट नहीं मांगने आये हैं,
हम तो आये है,
आप की समस्याओं के लिए,
क्यों की...
जब हम जीत के बाद मंत्री बनेंगे..
तो आप का विकास कर सके..
क्यों त्रिवेदी जी?? ठीक कह रहे है न हम..

मैं बोलने को ही था तभी बोल पड़े..
अब चलिए,
आप सब के सामने नहीं कहना चाह रहे हैं,
कोई बात नहीं,
हम तो समझते ही हैं..
आप हमे जिता दे..
हम सारा विकास का जिम्मा आप को दे देंगे..
आप यहाँ खुश और हम संसद में??

Monday, June 27, 2011

मन है? तलाश करता रहता है?

ये मन है,
हमेशा कुछ तलाश करता रहता है,
कभी तेज़ धूप में,
तो कभी शाम की हलकी सी छांव में,
बारिश की बूंदों में,
तो कभी ख़ाली सूनेपन में,
भीड़ में, सफ़र में,
दरख्तों में या शहर में, हर कहीं..
ये मन कुछ तलाशता रहता है.

कभी ज़िक्र नहीं करता,
मगर रात भर,
चाँद की मद्धम सी रौशनी में,
ख्यालों को खोजता रहता है,
पंछिओं के झुण्ड में,
उड़ने की सोचता है..
सावन की बूंदों के संग,
बरसने को चाहता है
पतझड़ में टूटे पत्ते संग खुद भी,
हवा में तैरता रहता है...
मैं भी सोचता रहता हूं की,
ये मन कुछ तलाशता रहता है..

सड़कों पे हमेशा,
रास्तों को खोजता रहता है,
सर्द ओस की बूंदों में भी,
नमी को खोजता रहता है,
और अगर सब ठीक है,
तो क्या क्या है ठीक..
बस यही सोचता रहता है..
ये तो मन है,
कुछ न कुछ तलाशता रहता है?
ऐ वक़्त,
तू तो बढ़ता है पर मेरे कदम अब साथ नहीं देते,
और जो रुकूँ तो कारवां से बिछड़ जाऊंगा,

ऐ हवा,
तू तो बह जाएगी अपनी रौ में लेकिन,
मैं तिनको का आशियाँ हूँ उजड़ जाऊंगा,

ऐ लहर,
तुम अपनी मौजों से यूँ ही खेलती रहो,
कितना भी तुम चाहो मुझे आकर देना,
मैं तो रेत हूँ, कभी तो बिखर जाऊंगा,

ऐ जान,
इतनी हमदर्दी न रख इस जिस्म से,
कब तक तुझे यूँ ही कैद कर पाउँगा,
अब तब चाहे जब, हमे तो अलग होना ही है,
मैं भी इंसान ही हूँ, कभी न कभी तो मर जाऊंगा.....

Sunday, June 26, 2011

ये जिंदगी का सफ़र जाने कब सिमट जाये,
मौत के आगोश में हम जाने कब लिपट जाएं ,
गैरत में अपनी कभी इतना न खोना दोस्तों,
क्या सूरज क्या चाँद जाने कब भटक जाएं.....

Saturday, June 18, 2011


चलो चलते हैं कुछ दूर का सफ़र हम साथ मिलकर,
देखें तुम्हारे संग वादियों में क्या मज़ा आता है.......

मैं ऐसा क्यों हो गया

मैं ऐसा क्यों हो गया,
ये अक्सर मुझसे,
लोग पुछा करते हैं..
वो सोचते हैं शायद मुझे पता होगा,
अगर पता होता तो ऐसा होता हे क्यों...

अगर पता होता,
इस चाँद को तकते तकते,
अगर पता होता
यूँ रात भर जगते जगते,
जाने किस बेखुदी में खो जाऊंगा..
तो मैं ताकता ही क्यों, रात भर जागता ही क्यों..
मगर देखो ना..
आज मैं गुमशुदा हो गया,
और लोग पूछते हैं,
मैं ऐसा क्यों हो गया..

यहाँ बस्ती है,
लेकिन कोई बसता नहीं,
सब है पसंद,
मगर कोई जचता नहीं..
वफ़ा देखी नहीं तो बेवफा हो गया,
और लोग पूछते हैं,
मैं ऐसा क्यों हो गया..

हाथ आया जो जाम,
तो लगा दुनिया पकड़ ली,
फिर क्या,
हमने भी कस के वही हाथो में जकड ली,
अब फिर क्यों कहते हो..
की मैं बेवडा हो गया..
क्यों पूछते हो,
मैं ऐसा क्यों हो गया..

जब ज़रुरत लगी हमको,
तो कोई करीब नहीं आया,
उस खुदा को भी रास मेरा नसीब नहीं आया,
और आज,
जब मैं खुद में गुमशुदा हो गया,
तो फिर लोगो ने पुछा..
मैं ऐसा क्यों हो गया??????????????

बस जो आता गया,
वही करते गए..
जिंदगी की राहों पे अकेले चलते गए..
हर शाम
अरमान ढलते गए,
हर रिश्ते जिंदगी के बदलते गए..
अब क्या बताएं,
की हम कैसे फिसलते गए..

बस वो आदमी पुराना कहीं खो गया,
मैं क्या बताऊँ..
मैं ऐसा क्यों हो गया.... मैं ऐसा क्यों हो गया..

Friday, June 17, 2011

क्या नेता क्या हम, सभी तो फरेबी है..

अब क्या फर्क सब के एक से इरादे हैं,
एक ही शतरंज के राजा वजीर और प्यादे हैं,
कोई मत कहो अब वादों पर यकीन करने को,
क्या अन्ना क्या नेता, दोनों ही कपड़ो के सादे हैं..

मगर क्या कहा जाये उनसे और क्या न कहें हम,
उनके झूठ में शामिल कुछ हमारे भी वादे हैं??
ये तो पनपती रहेगी जब तक हम नहीं सुधरे,
अगर वो आते हैं घर तक, तो कभी हम भी तो जाते हैं??

Tuesday, February 15, 2011

जिंदगी हमारी

अनायास ही खो जाती  है हर ख़ुशी हमारी,
क्या तुम क्या हम, ये तो सबको है प्यारी,
चलते रहते हैं मीलों इस जिंदगी के सफ़र में,
आखिर में हो जाती है माटी जिंदगी हमारी..

जब तराशा खुदा ने तो सूरत बना दी..
हुश्न ईमान की उसने एक मूरत बना दी,
मोहब्बत ने इस दिल की उसे ज़रुरत बना दी..
उसने कोई चीज़ ऐसी खूबसूरत बना दी..
पर चाँद मिलना कहाँ आसमा से पहले,
बस इंतज़ार में हमने काटी जिंदगी हमारी..

कभी घर ने सताया, कभी दिल ने रुलाया,
कभी यारों की ख्वाहिश, कभी उसने बुलाया..
हम भी चलते गए कुछ भी देखा नहीं,
कई टुकड़ों में बांटी हमने जिंदगी हमारी..
जो खफा होते हैं, पास होते वही हैं,
बस हम गलत होते हैं, और वो होते सही हैं,
जो प्यार था उन्हें तो ये भी तो फ़र्ज़ था,
कभी तुमने क्यों ना जाँची ये जिंदगी हमारी..

आज लौटे हैं हम कई अरसा हुआ,
बस अश्कों के सिवा कुछ ना खर्च हुआ,
घर जो पहुंचे तो कुछ भी ना चर्चा हुआ,
मेरे जख्मों पे बस नमक और मर्चा हुआ,
कई इलज़ाम लगे हम पर मगर कह ना सके..
किसको बताएं कितनी साँची है जिंदगी हमारी..

Saturday, March 27, 2010

मैंने पूछा

मैंने उसको सलाम लिख भेजा,
हाले दिल तमाम लिख भेजा !!
मैंने पूछा तेरे होठ कैसे हैं,
उसने सिर्फ जाम लिख भेजा !!
मैंने पूछा तेरे बाल कैसे हैं,
उसने कुदरत का कमाल लिख भेजा !!
मैंने पूछा कब होगी मुलाकात,
उसने क़यामत की शाम लिख भेजा !!
मैंने पूछा इतना तडपती क्यों हो,
उसने जवानी का इंतकाम लिख भेजा !!

पूछा किसी से नफरत भी है क्या,
तो जालिम ने मेरा हे नाम लिख भेजा !!!!!!!!!!

Thursday, March 25, 2010

हर अंजुमन से एक प्रारंभ की दरकार है,
बढ़ चलो आगे अभी से, करना गर जो पार है..


है कई मीलों सफ़र ये, तू चला चल थक नहीं,
जो थमा वो जम गया है, बस यही एक सार है..


क़त्ल करने कि वजह थी, वो छुरा भी तेज़ था,
जख्म की अब फ़िक्र ना कर, हौसला औज़ार है..



तू खुदा को खोज लाये, आसमा तक जा कभी,
क्यों ज़र्रे ज़र्रे में ज़मी की, खोजता उसे यार है..