Here i want to give you all a hold to your dreams.. to make them fly higher..... "When a dream takes hold of you, what can you do? You can run with it, let it run your life, or let it go and think for the rest of your life about what might have been"..... Patch adams

Saturday, June 18, 2011

मैं ऐसा क्यों हो गया

मैं ऐसा क्यों हो गया,
ये अक्सर मुझसे,
लोग पुछा करते हैं..
वो सोचते हैं शायद मुझे पता होगा,
अगर पता होता तो ऐसा होता हे क्यों...

अगर पता होता,
इस चाँद को तकते तकते,
अगर पता होता
यूँ रात भर जगते जगते,
जाने किस बेखुदी में खो जाऊंगा..
तो मैं ताकता ही क्यों, रात भर जागता ही क्यों..
मगर देखो ना..
आज मैं गुमशुदा हो गया,
और लोग पूछते हैं,
मैं ऐसा क्यों हो गया..

यहाँ बस्ती है,
लेकिन कोई बसता नहीं,
सब है पसंद,
मगर कोई जचता नहीं..
वफ़ा देखी नहीं तो बेवफा हो गया,
और लोग पूछते हैं,
मैं ऐसा क्यों हो गया..

हाथ आया जो जाम,
तो लगा दुनिया पकड़ ली,
फिर क्या,
हमने भी कस के वही हाथो में जकड ली,
अब फिर क्यों कहते हो..
की मैं बेवडा हो गया..
क्यों पूछते हो,
मैं ऐसा क्यों हो गया..

जब ज़रुरत लगी हमको,
तो कोई करीब नहीं आया,
उस खुदा को भी रास मेरा नसीब नहीं आया,
और आज,
जब मैं खुद में गुमशुदा हो गया,
तो फिर लोगो ने पुछा..
मैं ऐसा क्यों हो गया??????????????

बस जो आता गया,
वही करते गए..
जिंदगी की राहों पे अकेले चलते गए..
हर शाम
अरमान ढलते गए,
हर रिश्ते जिंदगी के बदलते गए..
अब क्या बताएं,
की हम कैसे फिसलते गए..

बस वो आदमी पुराना कहीं खो गया,
मैं क्या बताऊँ..
मैं ऐसा क्यों हो गया.... मैं ऐसा क्यों हो गया..

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरती से लिखी अपनी कश्मकश

sudh!r said...

thanks aap ko..

Asha Joglekar said...

मन का आक्रोश खूब निकाला है । क्या बतायें ऐसा क्यूं हो गया ।

sudh!r said...

thanks mam.. bas jo dil karta hai likh dete hain?