बढ़ चलो आगे अभी से, करना गर जो पार है..
है कई मीलों सफ़र ये, तू चला चल थक नहीं,
जो थमा वो जम गया है, बस यही एक सार है..
क़त्ल करने कि वजह थी, वो छुरा भी तेज़ था,
जख्म की अब फ़िक्र ना कर, हौसला औज़ार है..
तू खुदा को खोज लाये, आसमा तक जा कभी,
क्यों ज़र्रे ज़र्रे में ज़मी की, खोजता उसे यार है..
1 comment:
बहुत बढ़िया!!
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
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