जब चाहा तुझे पाना एक ख्याल नज़र आया..
नहीं सोचते थे होगी कुदरत में इतनी खूबी,
तुझे देखा तो उसके करिश्मे में कमाल नजार आया..
वजह इकरार की कोई तेरे पास नहीं थी,
मेरे इनकार पर तेरी आँखों में मलाल नज़र आया..
जिस्म बेज़ा किया, जान जाती रही..
तेरी यादों में ऐसा अपना हाल नज़र आया..
For Me,
मुकद्दर फसलों का यूँ हमने बना डाला,
सारे जज्बातों को हमने तन्हाई में मिला डाला,
बुझती लौ थी, अचानक से हवा तेज हो गई,
एक आंधी ने मेरे अरमानो का आशियाँ जला डाला..
No comments:
Post a Comment