साजिश है हर नज़र ऐतबार क्या करें,
मिलते रहे हैं धोखे अब प्यार क्या करें,
दुश्मन ना बने कोई, सब दोस्त बना डाले,
अब दोस्ती के बदले अंदाज़ तो यार क्या करें..!!
आग़ाज़ जिंदगी का अंजाम था मगर,
हर शख्श जिंदगी में बेईमान था मगर,
गुज़रा कभी नहीं था बेवफाई के दौर से,
देना पड़ा है अब वो इम्तिहान क्या करें..!!
प्यार पूजा था अब तक, तेरे मिलने से पहले,
किये सजदे थे इस कदम में भगवान् से पहले,
करम था खुदा का जो तुमको यूँ हया दी,
तुमको हंसी बनाया, अब भगवान् क्या करे..!!
करोगे जो खता तुम तो सजा वही देगा,
बनाया है तुमको उसने और मिटा भी वही देगा,
मगर मिटा नहीं पता कोई खुद बनाई इमारत,
जब उसी से हुई है खता तो इंसान क्या करे..!!
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