क्या करम तेरा खुदाया, ना सनम मेरा हुआ..
मैं खुदी को खोजता था, ज़र्रे ज़र्रे में तेरी..
तू मिला तेरी खुदाई, नब्ज़ में बहता हुआ..
ऐ सनम अब तो बता दे, हम को जाना है कहाँ..
या मुझे रास्ता दिखा दे, खामोशा-ए-शहर है जहाँ..
हम तेरे दर से जो निकले, मर के जाना है हमे..
बिन तेरे जीने की ताकत, अब बदन में है कहाँ..
हमने जो देखी खुदाई, तू खुदा से कम नहीं..
अब खुदा हमसे जो रूठे, इसका हमको गम नहीं..
बस करम इतना तू कर दे, तू सनम मेरा रहे..
जीत जाये ये दुहाई, फिर खुदा या हम नहीं..
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