कुछ दर्द है,
पा कर भी खोने का,
मिल के जुदा होने का,
तेरे हर उस साथ का..
पल पल की मुलाकात का.. कुछ दर्द है..
नर्म चांदनी में सोते रहे,
ना पता था जिसके चाँद का..
हर उस नींद का,
हर उस रात का.. कुछ दर्द है..
ज़माने की बात थी,
हाँ वो भी उन्ही के साथ थी..
लोगो ने तो खूब कहा,
पर तेरी हर उस बात का.. कुछ दर्द है..
आशियाँ बना था,
तुम रह ना सके,
अब उस घर में हूँ एक लाश सा,
इस जिंदगी के वनवास का.. कुछ दर्द है..
Friday, March 5, 2010
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