यू तो हमने तेरा दिल दुखाया नहीं है..
ऐसे ना जाओ मुझे यू सजा सुना के,
अभी तुमने मेरा कसूर बताया नहीं है..
तमाम रातों में मैंने आँखों को खुला रख है,
तेरी खातिर एक पल भी सुलाया नहीं है..
महफ़िल थी सोचा हम भी दुआ दे दें,
खुद तुझे क्या देंगे, हम खुदाया नहीं है,
चले आये थे कि कोई तो पहचान होगी,
आखिर सब हैं अपने कोई पराया नहीं है..
जानते हैं सब हम तेरी खातिर आये हैं,
अब ना कहना किसी से कि बुलाया नहीं है..
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